/मूक नरसंहार, हैदराबाद का भारत में विलय, हिंदू मुस्लिम पर आधारित है रजाकार फिल्म!

मूक नरसंहार, हैदराबाद का भारत में विलय, हिंदू मुस्लिम पर आधारित है रजाकार फिल्म!

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Razakar: The Silent Genocide of Hyderbad Review – आपने कई ऐतिहासिक फिल्में देखी होंगी लेकिन यह फिल्म कुछ अलग होगी क्योंकि कुछ इतिहास को इतिहास के पन्ने पर जगह नहीं दी गई या यूं कहें कि जिनके बारे में न तो ज्यादा सिखाया गया और न ही बताया गया, रजाकार एक ऐसी फिल्म है जो न सिर्फ आपको इतिहास में वापस जाकर रजाकारों द्वारा किए गए अत्याचारों के बारे में तो बताएंगे ही, साथ ही कई ऐसे गुमनाम सेनानियों के बारे में भी जानकारी देंगे

कहानी : रजाकर फिल्म की कहानी सनकी जनरल कासिम रिज़वी और निज़ाम उस्मान अली खान के इर्द-गिर्द घूमती है। निज़ाम न केवल सबसे अमीर आदमी था, निज़ाम सरकार के पास अपनी रेलवे, डाक सेवा, संचार, जहाज और एयरलाइंस भी थी। निज़ाम के पास 22,000 सैनिकों की सेना थी जिसमें अरब, पठान, मनिहार, रोहिल्ला आदि शामिल थे। निज़ाम ने भारत में विलय से इनकार कर दिया था। इसके बाद 1948 तक कई दौर की बातचीत चलती रही लेकिन निज़ाम इस फैसले पर सहमत नहीं हुए।

स्वतंत्र भारत में निज़ाम के शासन और उसके जमींदारों के विरुद्ध आम जनता का पहला संगठित विद्रोह हुआ, जिसका नेतृत्व भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने किया। उस समय एक मजलिस हुआ करती थी जिसके नेता काजिम रिज़वी थे और फिर कासिम रिज़वी ने अपने शासन को बचाने के लिए निज़ाम से हाथ मिलाया और निज़ाम के आदेश पर एक मिलिशिया का गठन किया, जिसे ‘रज़ाकार’ के नाम से जाना जाता है। काज़िम ने रजाकारों की सारी जिम्मेदारियाँ उठा लीं। रजाकारों का मूल उद्देश्य हैदराबाद को पाकिस्तान की तरह भारत से अलग एक इस्लामिक राज्य बनाना था। फिल्म में कई छोटी-छोटी कहानियां हैं, फिर भी फिल्म एक ही ट्रैक पर चलती है, हर कहानी के जरिए रजाकारों की क्रूरता और ज्यादतियों को दिखाया गया है।

एक्टिंग : फिल्म में किसी भी किरदार के लिए सबसे जरुरी होता है उसके द्वारा किये गए अदाकारी को देखकर जनता भूल जाये की वो किसी बॉलीवुड के एक्टर को देख रहे है. और बिलकुल कुछ ऐसा ही किया है के किरदारों ने, खासकर मकरंद देशपांडे, तेज सप्रू, और राज अर्जुन जैसे मंझे हुए कलाकारों ने, जहा मकरंद देशपांडे ने मीर उस्मान अली ख़ान यानि की निज़ाम के रोल में है, वही सरदार बल्लभ भाई पटेल का रोल निभाया है तेज सप्रू ने. और इस फिल्म का जो सबसे क्रूर किरदार है उसे राज अर्जुन ने बखूबी निभाया है, कासिम रज़वी के किरदार को देखकर आपका खून खौलेगा। वही अनुश्रिया को आप इस फील्म में पहली बार एक्टिंग देखेंगे। बाकि कलाकार जैसे बॉबी सिम्हा, वेदिका, आरव चौधरी और थलइवसाल विजय ने भी अपने किरदार को बखूबी अंजाम दिया है

डायरेक्शन : आजकल ऐसी फिल्मो का दौड़ आ चूका जब हमे अपनी इतिहास की बीती गयी वो बाते बताई जा रही हैं जिससे बहुत दिनों तक भारत की जनता अनजान थी, जहा तक फिल्म के डायरेक्शन की बात है तो बता दे Razakar: The Silent Genocide Of Hyderabad का निर्देशन किया है “Yata Satyanarayana” ने उन्हें इस फिल्म को डायरेक्ट करने के लिए कितनी सारी किताबे और हिस्टोरिकल दस्तावेज पढ़ने पड़े होंगे, फिर भी उनके लिए ये काफी चुनौतीपूर्ण रहा होगा की कैसे वो उस समय इतने सारे हो रहे अत्याचार और उसके पीछे जो राजनीति चल रही थी उसे महज 166 मिनट में समेत सके और इसमें निर्देशक “Yata Satyanarayana” काफी हद तक कामयाब भी हुए है. और ये वाकई में कबीले तारीफ है. हलाकि फिल्म की कहानी और एक्टर्स के दमदार अदाकारी के सामने डायरेक्शन पे आपका ध्यान नहीं जायेगा

अब आखिरी में हम बात करेंगे कैसी है फिल्म : फिल्म पहले तेलगु भाषा में रिलीज़ गयी थी लेकिन इसे हिंदी, तमिल, मलयालम और कन्नड़ भाषा में भी Dub किया गया है. ये फिल्म काफी संवेदनशील है, आप जब इस फील्म को देखेंगे यकीं मानिये आपने अंदर एक आत्मगलानी आएगी की हमे अब तक इन जानकारियों से अलग रखा गया है. पर ये जानकर अच्छा भी लगेगा अब पड़े परदे पर लोगो को मनोरंजन के साथ साथ हमारे बीते हुए कल के संघर्ष को भी बिना कोई छेड़छाड़ के दिखाया जा रहा है. हर हिन्दू और मुसलमान को यह फिल्म एक बार जरूर देखनी चाहिए।

चलिए जानते है इस फिल्म को देखकर आये कुछ दर्शक नजर से।: IMDB पर विवेक लिखते है की :- यह फिल्म सभी को देखने के लिए बहुत अच्छी है, कई मौकों पर आप फिल्म में दिखाए गए अत्याचार से परेशान महसूस कर सकते हैं, लेकिन उन्होंने सच्चाई और वास्तविकता को दिखाया है, जिसका सामना हैदराबाद प्रांत में नवाब शासन के दौरान हिंदू समुदायों को करना पड़ा था, जो तब तक भारत के शासन के अधीन नहीं था। सरदार वल्लभाई पटेल ने हस्तक्षेप करते हुए भारतीय सेना भेजी और हैदराबाद क्षेत्र को नवाब शासन से मुक्त कराया।

फिल्म तकनीकी रूप से अच्छी तरह से निर्देशित है और प्रतिशोध जो हिंदू समुदाय ने रजाकारों के खिलाफ किया था, वह फिल्म में बहुत सारे भावनात्मक आंदोलनों को बहुत अच्छी तरह से चित्रित किया गया है।

वास्तविक घटनाओं पर आधारित फिल्म के रूप में बहुत अच्छी तरह से निष्पादित फिल्म कुछ लोगों को बहुत परेशान करने वाली लग सकती है लेकिन फिल्म निर्माता सच्चाई को चित्रित करने का प्रयास करते हैं।

तो आपको कैसी लगी फिल्म आप हमे अपनी राई बता सकते है और अगर आपने अभी तक यह फिल्म नहीं देखीं है तो जाइये और अपनी नजदीकी सिनेमाघरों में इस फिल्म को अपने नजरिये से देखें.

★★★3/5